दिवाली का त्यौहार है ..

दिवाली का त्यौहार है ..
वाह
कितनी जगमग और झूम मची है
लोगों ने घरों को सजा ही डाला है

एक तरफ बारिश है,
जो बरस कर सब कुछ साफ़ ही कर डालती है
और एक तरफ दिवाली,
जब लोग खुद ही सफाई करते है

वो जो सिग्नल किनारे जो जगह है न,
जो खाली थी
वहाँ पर कुछ बेघर बच्चों ने,
कुछ पेपर बिछा कर,
अपना घरौना बना रखा है…
आज उन्हें भी वहा अपने छोटे छोटे हाथों से
धूल समेटते देखा

पर उनके जो एक जोड़ी कपडे थे न
वो भी धूल में सन गये…
ठंडी भी आ गयी है

वाह!
की अब तो बड़ी सारी मिठाईयों की दुकाने सजी है
कही दिए बिक रहे
कही झालरें, और कही लक्ष्मी - गणेश की मूर्तियां

वो जहा सेठ जी किलों भर मिठाईयां बेच रहे थे न
वहा एक बच्चा आया
अरे वही सिग्नल वाला
धूल से सना हुआ
बड़ी ही जोर से डाँट कर भगा दिया उसे वहाँ से
गाली नहीं दी, देने वाले थे
पर "सेंसिटिव" ग्राहक जो खड़े थे

और फिर तो रात हो गयी
वाह! वाह!
दे फटाके पे फटाके!
हजार वाली लड़ियाँ, रॉकेट्स, बोम्ब्स!

वहाँ वो बच्चे भी,
वहाँ अँधेरे में खड़े होकर
सब कान लगाए सुन रहे थे,
 और बेतहासा ख़ुशी से कूद रहे थे

थोड़ा समय बाद ठण्ड बढ़ गयी थी
ठण्ड से काँपने लगे थे अब वोह
और फिर... फटाके भी चुभने लगे थे

सुबह जल्दी उठकर,
अधजले फटाके ढूढ़ रहे थे…






















































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