वो शाम...

वो शाम पीली लाल वाली
जब सूरज थक कर सोने चले जाये
तो जाते जाते अलविदा कह जाये
कहे की कल फ़िर आऊंगा
और मन इस वादे को भूल न पाये
वो सूरज के जाते ही अन्धेरा होने लग जाये
वो शाम पीली लाल वाली,
और थोड़ी सी थडंक वाली
वो जब तालाब के पानी के ऊपर कोहरा सा छाये
उसे देख मन शान्त हो जाये
हुम जो ठिठुर ठिठुरने से लग जाये
और वो ठहाके, लोगों के
वो जब सब अपने से लगने लग जाये
हा वही शाम...
वो ठंडी शाम पीली लाल,
वो नीले आसमान के ऊपर लालिमा,
और वो शाम गरम चाय वाली...
जब परिंदे दूर दूर का सफ़र कर,
पेड़ों पर वापस चले आये
आराम करने लग जाये
और वो चिड़िया जब चेहकने लग जाये
फिर उसी पेड के नीचे हम आकर बैठे रह जाये
हा वही लाल पीली, ठंडी सी शाम
वो मासूम सी शाम
वो शाम...

Comments

Popular posts from this blog

Our visit to Shanti Bhavan - Nagpur

Why am I a Vegetarian?

Ride and the Kalsubai Trek