आज का अख़बार

आज का अख़बार पढ़ना बड़ा दुस्वार था. पन्ने पलटते-पलटते पसीना इसलिये नहीं आया क्यूकी जाड़ा जकड़े हैं और हम कम्बल ओढ़ भालू बने हैं. ऐसा नहीं की देश में हाल ही में इतनी जागरूकता और स्वर्ण समाचार का इंजन दौड़ रहा हो. दरअसल अख़बार कुछ ज्यादा दिलचस्पी से पढ़ लिया आज. कुछ ख़ास ख़बरों की बात करें तो  सर्व प्रथम किसानों को विकलांग करने की जो नयी चुनाव नीति हैं वो धरल्ले से अपनाई जा रही हैं. मैं क़र्ज़ माफ़ी की बात कर रहा हू. राजस्थान के महोदय ने फ़रमाया हैं की उन्होंने मध्यप्रदेश के दस दिन के मुकाबले दो दिन में ही यह फैसला ले लिया. मान लीजिए कुछ अठारह हजार करोड़ रुपयों से व्हील चेयर बनाई जायेगी. दूसरी ख़ास खबर हैं जिसमे बुलंदशहर के हाल ही में हुए गऊ अपवाद में मारे गए एक पुलिस अफसर के विरोध में कुछ रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स बहुत चिंतित हैं. इसको लेकर उन्होंने एक पत्र जारी किया और हस्ताक्षर किये की वहा के महोदय को इस्तीफ़ा देना चाहिए. उनका कहना हैं की किसी भी समाज में पुलिस वाले का कत्लेआम एक गंभीर बात हैं. थोड़े ही दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमे एक होटल में इसी राज्य के एक 'छोटे' महोदय ने पुलिस वाले को चमाटे मार-मार के धूल चटा दी थी. मुझे याद हैं की वह दृश्य देख मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे और मुझसे जो बन पड़ा मैंने किया. अरे मैंने ट्वीट किया और उसमे वहा की राज्यपुलिस को टैग कर दिया. दो दिन तक जब कुछ रिप्लाई नहीं आया तो उसे हटा दिया. तब तक ये आम खबर लगने लगी थी इसलिए. सोचा इतनी बात को लेकर क्यू अपना ट्वीट अधिकार व्यर्थ जाने दू.

आगे की ख़ास खबर जिसमे एक लेखक ने 'दिल्ली अब वैसी नहीं रही' जैसे पहले थी पर लम्बा चौड़ा फरमान लिखा. दिल्ली वाले रोज़ ऐसी खबरों को चाय बिस्कुट में डुबो के खा जाते हैं और शोक करने वाले शोक करते रहते हैं. उसके बाद गंगा के अविरल-निर्मल प्रवाह को लेकर चर्चा हुई और वहा भी शोक प्रकट किया गया. उसके बाद उन्नीस सौ चौरासी में हुए तीन दिन वाले दंगे को याद किया. करीब तीन हजार लोग मारे गए थे और राज्य के महोदय लोग सोये रहे. एक बड़ा मुर्गा पैतीस साल में हाथ आया हैं. लेखक गंभीर हैं की अवधी थोड़ा अधिक करदी. अच्छा हुआ की ये महोदय स्वर्ग को नहीं सिधारे. थोड़ी ठंडी अब कारावास में भी बिताएंगे. ऐसे ही पेज दर पेज कारनामें चलते रहे और मेरी सुबह का खून हो गया.

कई ख़बरों के बीच एक मरे हुए व्यक्ति की फोटो छपी हैं जिसमे उसकी कद काठी, रंग रूप बताया गया. लाखों भारतीयों की तरहा इनका भी कोई ठिकाना ना था और सडक के किनारे बिन-आत्मा पाए गए.

घबराने की बात बिलकुल नहीं हैं क्यूकी आखिरी पन्नों में कोई ना कोई पैसे वालों की शादी का एल्बम भी छपा हुआ हैं. प्रसिद्ध बारात घर हैं राजस्थान. दिखिए और अपने सपने भी बुनिये. आपकी औकात में हो तो ऐसा ही कुछ करके दिखाईये और भारत का नाम ऊंचा कीजिए. ये अमीरों का देश हैं. सुप्रभात.


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