हैप्पी क्रिश्मस

रात को सोने से पहले, कम्बल को सर से मुंदिया के सैय्या की गुफा में जाने से पहले, टेक्नोलॉजी का सादा सा उपयोग करके यूट्यूब में समुन्दर की लहरों का म्यूजिक चला दिए. दिसंबर का महीना चल रहा हैं और बहुतायत अधूरे सपनों की तरहा एक ये की गोवा में नया वर्ष मनाएंगे, ज़िन्दगी जब बारम्बार दगा देने लगी तो एक तरकीब सूझ लेनी पड़ी. सो हमने वॉल्यूम की गति फुल की और एकाएक आँख बंद करते ही गोवा के समुन्दर किनारे वाले रिसोर्ट में पहुंच गए. खुद से एक मासूम सा झूठ बोला पर किसी को कुछ बताये बिना रात हमने गोवा में बिता ली. सुबह आँख खुलते ही जब पुनः वास्तविकता में प्रवेश किया तो देखा की फ़ोन डिस्चार्ज होके शहीद गिरा पड़ा हैं और लहरें कुछ ऐसे रहस्यमयी ढंग से गायब हो गयी जैसे सिंधु घाटी सभ्यता गोल हो गयी थी. खैर वापस दिल्ली आना ही पड़ गया. मन किया तो कल रात दोबारा चले जायेंगे. गोवा अब दूर नहीं.

आज क्रिश्मस हैं. छोटे में बड़ी सफ़ेद दाढ़ी वाले सेंटा क्लॉज़ के बारे में जाना था की वे रात में हर सोते हुए बच्चों के पास आकर उनके पसंद का एक तोहफा छोड़ जाते हैं. कुछ फिल्मो में देखा भी की वे कैसे आसमान में अपनी तोहफों से लदी गाड़ी में उड़ते हुए जाते हैं और अंधेरा छटते छटते सारे बच्चों की ख्वाहिशे पूरी करते हैं. मेरे लिए क्रिश्मस सेंटा क्लॉज़ ही हैं. इसलिए जब सुबह बिस्तर से उठके बाहर खिड़की से बैगनी आसमान की तरफ निहारा तो ये मान लिया की रात में हवाई जहाज के अलावा कोई और भी यहाँ से हाहाहा करते उड़ा होगा.

हैप्पी क्रिश्मस!

Comments

Popular posts from this blog

Our visit to Shanti Bhavan - Nagpur

Cycle trip to Sinhagad Fort

Ride and the Kalsubai Trek