सपना

एक ऐसा दिन नही जाता
जब तुम्हारा सपना नही आता
बिन बुलाये भागी भागी चली आती हो
सपने में इतनी मिलनसार क्यू हो जाती हो

तुम बिना मेकअप के चली आती हो
कुछ बताना हैँ की
कुछ बात छुपाती हो?

आधी रात से भली सुबह
मंद अंतरतम के छंद रहे आते हैँ
सुबह रूहानी हो जाती हैँ
तुम्हारी स्तुति स्वरित होकर गाती हैँ

तुम आकर कुछ बोलती नही हो
देखती हो, पलके झपकाती हो
करीब आती हो
फिर हवा बन जाती हो

न पाके तुम्हे कही
सोचो क्या हाल उसका होता होगा
सूरज की लौ आग बन जाती होगी
झनकार शोर बन जाती होगी

ऐसे ही बस
ऐसे ही नही
यु ही गुज़रता जाए जीवन
बेजान, अशांत

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