बराबरी

नीचे गली में जश्न का माहौल था. मोहल्ले के कुछ जन पिछले तीन हफ्तों से हर दिन खाना पका कर, पैक कर लेकर जाते थे. वो ये खाना शहर की कई सारी झुग्गी झोपडीयों में बाट आते थे. नीचे एक कार खड़ी हुई हैं जिसके पीछे वाले कांच में लिखा हैं, 'कर सेवा'. 

महामारी के चलते समाज में तीन तख़्तों के लोगों को सही स्थान मिलना चाहिए जो की हैं स्वास्थ्य कर्मचारी, पुलिस और सफाई वाले. पीछे कुछ दिनों पहले भारतीयों ने एक दिन शाम को अपने घरों से थाली मंजिरा ठोक के 'शायद' यही ऐलान किया था. उस दिन के बाद ऐसा ही लगा था की अब कोई डॉक्टर्स पे हमला नहीं बोलेगा, सफाई कर्मचारियों से तवज्जो से पेश आएगा और उन्हें इज्जतदार नज़रो से देखेगा, बराबरी का समझेगा, गिरी नज़रो से नहीं. तीनो ही तख़्तों में पुलिस वालों ने अपने डंडे के बल पर शायद अपना दबदबा बनाये रखा... बाकियों का कुछ कहना कठिन हैं. डॉक्टर्स की पिटाई अभी भी होती रहती हैं. 

मोहल्ले का मेनगेट बंद था और उसकी चावी एक छोटे बच्चे के पास थी जो गली में टहल रहा था. गेट के बाहर एक सफाई कर्मचारी आया हुआ था. वो गली के माहौल से जबरदस्त प्रभावित दिखता था. उसे लगा की वो भी इस महामारी के पलों में कुछ जानो में से हैं जो काम करने में जुटा हैं और 'सेवा' कर रहा हैं. उसने ऊंचे स्वर में कहा, 'ओ काके ओये, गेट'. बच्चा खाना बनाने वालों की तरफ देखता है और अनुमति पाकर गेट खोल देता हैं. बाकी अपने घरों में कैद हैं और इन तीन वर्गो की सेवाओ का आनंद ले रहे हैं. सफाई वाले काम पे थे. अपने घरवालों से दूर. जगह जगह जाकर फैले कचरे को समेट रहे थे. लोगों ने रोज़ की तरह गली में गंदगी मचाई थी. वो पन्नी का रैपर फेकते वक़्त, अपने कुत्ते को हल्का कराते वक़्त, तम्बाकू खा के खिड़की से थूकतें वक़्त एक पल भी सोचते नहीं थे. राजशाही हमने पता नहीं कहा से उधार ली हैं. 

सफाई वाला अंदर आते ही उत्साहित अपने काम में जुट गया. और दिन की अपेक्षा उसने हाथ में दस्ताने पहने थे, मास्क लगाया हुआ था, जूते पहने थे. एक अंकल जी अपनी खिड़की से मुँह निकाल कर हक़ से पुकारतें हैं, 'अरे भाई, ये कौन साफ करेगा?'... तभी ही माहौल से सफाई वाले की आबरू वापस लुटि. ये साबित हुआ की अभी भी चीजें नहीं बदली हैं और शायद वैसे ही रहेंगी. समाज में कुछ कामों को निम्न समझा जाता हैं भले ही वो कितना पाक हो. उसने ऊपर देखा और हाथ दिखा कर सब्र की गुहार लगाई, 'जी कर रहा हूँ'... 

मैं नहीं समझता की कोई नेता से ऐसे पूछ सकता हैं की 'ऐ भाई, कहा रहते हो'.. वहाँ हम निम्न हो जाते हैं... अति निम्न 


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