28 दिसंबर
मैं सोचता हू की ये तारीख हमेशा आने से पहले जद्दोजहद में क्यू टक-टक करते रहती हैं. कस्मकस यूँ की दिन भर में कई बार ऐसा लगे की बाबू कुछ तो भुलर रहा हैं. पर क्या? कुछ तो ख़ास बात हैं आज. पर क्या. अट्ठाइस दिसम्बर. रात में जब मम्मी से फ़ोन में देश-खबरी-कानून-हिसाब बतिया लिए, और लाइन बस काटना ही था तो उन्होंने बम फोड़ा की "आज पापा का जन्मदिन पड़ता हैं". रात के दस बजे हैं मतलब की पूरा दिन गुजर गया. पापा तो थोड़ी देर में सो भी जायेंगे. ये हाल पिछले साल भी था और उसके पिछले साल भी. अब क्या कहे क्यू याद नहीं रहता. किसी ने याद भी नहीं दिलाया. बावन साल के हो गए पापा. जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें. तोहफा ये की अब अगली बार से नहीं भूलेंगे. ये फोटो करीब चार साल पहले की हैं. समय के आगे सब फेल हैं.