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Showing posts from December, 2018

28 दिसंबर

मैं सोचता हू की ये तारीख हमेशा आने से पहले जद्दोजहद में क्यू टक-टक करते रहती हैं. कस्मकस यूँ की दिन भर में कई बार ऐसा लगे की बाबू कुछ तो भुलर रहा हैं. पर क्या? कुछ तो ख़ास बात हैं आज. पर क्या. अट्ठाइस दिसम्बर. रात में जब मम्मी से फ़ोन में देश-खबरी-कानून-हिसाब बतिया लिए, और लाइन बस काटना ही था तो उन्होंने बम फोड़ा की "आज पापा का जन्मदिन पड़ता हैं". रात के दस बजे हैं मतलब की पूरा दिन गुजर गया. पापा तो थोड़ी देर में सो भी जायेंगे. ये हाल पिछले साल भी था और उसके पिछले साल भी. अब क्या कहे क्यू याद नहीं रहता. किसी ने याद भी नहीं दिलाया. बावन साल के हो गए पापा. जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें. तोहफा ये की अब अगली बार से नहीं भूलेंगे. ये फोटो करीब चार साल पहले की हैं. समय के आगे सब फेल हैं.

हैप्पी क्रिश्मस

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रात को सोने से पहले, कम्बल को सर से मुंदिया के सैय्या की गुफा में जाने से पहले, टेक्नोलॉजी का सादा सा उपयोग करके यूट्यूब में समुन्दर की लहरों का म्यूजिक चला दिए. दिसंबर का महीना चल रहा हैं और बहुतायत अधूरे सपनों की तरहा एक ये की गोवा में नया वर्ष मनाएंगे, ज़िन्दगी जब बारम्बार दगा देने लगी तो एक तरकीब सूझ लेनी पड़ी. सो हमने वॉल्यूम की गति फुल की और एकाएक आँख बंद करते ही गोवा के समुन्दर किनारे वाले रिसोर्ट में पहुंच गए. खुद से एक मासूम सा झूठ बोला पर किसी को कुछ बताये बिना रात हमने गोवा में बिता ली. सुबह आँख खुलते ही जब पुनः वास्तविकता में प्रवेश किया तो देखा की फ़ोन डिस्चार्ज होके शहीद गिरा पड़ा हैं और लहरें कुछ ऐसे रहस्यमयी ढंग से गायब हो गयी जैसे सिंधु घाटी सभ्यता गोल हो गयी थी. खैर वापस दिल्ली आना ही पड़ गया. मन किया तो कल रात दोबारा चले जायेंगे. गोवा अब दूर नहीं. आज क्रिश्मस हैं. छोटे में बड़ी सफ़ेद दाढ़ी वाले सेंटा क्लॉज़ के बारे में जाना था की वे रात में हर सोते हुए बच्चों के पास आकर उनके पसंद का एक तोहफा छोड़ जाते हैं. कुछ फिल्मो में देखा भी की वे कैसे आसमान में अपनी तोहफों से लदी गाड़ी...

आज का अख़बार

आज का अख़बार पढ़ना बड़ा दुस्वार था. पन्ने पलटते-पलटते पसीना इसलिये नहीं आया क्यूकी जाड़ा जकड़े हैं और हम कम्बल ओढ़ भालू बने हैं. ऐसा नहीं की देश में हाल ही में इतनी जागरूकता और स्वर्ण समाचार का इंजन दौड़ रहा हो. दरअसल अख़बार कुछ ज्यादा दिलचस्पी से पढ़ लिया आज. कुछ ख़ास ख़बरों की बात करें तो  सर्व प्रथम किसानों को विकलांग करने की जो नयी चुनाव नीति हैं वो धरल्ले से अपनाई जा रही हैं. मैं क़र्ज़ माफ़ी की बात कर रहा हू. राजस्थान के महोदय ने फ़रमाया हैं की उन्होंने मध्यप्रदेश के दस दिन के मुकाबले दो दिन में ही यह फैसला ले लिया. मान लीजिए कुछ अठारह हजार करोड़ रुपयों से व्हील चेयर बनाई जायेगी. दूसरी ख़ास खबर हैं जिसमे बुलंदशहर के हाल ही में हुए गऊ अपवाद में मारे गए एक पुलिस अफसर के विरोध में कुछ रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स बहुत चिंतित हैं. इसको लेकर उन्होंने एक पत्र जारी किया और हस्ताक्षर किये की वहा के महोदय को इस्तीफ़ा देना चाहिए. उनका कहना हैं की किसी भी समाज में पुलिस वाले का कत्लेआम एक गंभीर बात हैं. थोड़े ही दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमे एक होटल में इसी राज्य के एक 'छोटे' महोदय ने पुलिस वाले क...

इ जनरल डब्बा हैं

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जबर ठण्ड पड़ रही थी. मकान से एक झोलिया लेकर चले थे जिसमे रात के भोजन के लिए पूड़ी-भाजी थी, एक पानी का बोतल, एक कम्बल, एकठो मफलर, अगले दिन के लिए कच्छा और एकठो शर्ट रख ली थी. एक कॉपी भी थी ताकि समय मिले तो रिवाइज कर लेंगे. उसके भीतर प्रवेशपत्र दबा दिए थे. उसमे लिखा था की स्टेशन से केंद्र पांच किलोमीटर दूर हैं.  सुबह स्टेशन में उतर कर पहले नहाया जायेगा. इनके साथ इनके मित्र बंटू भी थे. उसने कुछ नही रखा. बोल रहा था की परीक्षा देने जा रहे हैं, मंदिर नहीं. जूता मोजा तो हम पहने ही थे. पैर में ठंडी नहीं लगेगी. रात में सगली खिड़की बंद कर दिए और मोबाइल को चार्ज में लगा दिए. हमको बहुत ख़ुशी हुई जब हम डब्बे में चार्जिंग पॉइंट देखे. इसलिए खिड़की वाली सीट को लपक के बैठ गए. भारत तरक्की कर रहा हैं. रात में एक फ़िल्म देख लेंगे.  कम्बल निकाल के बैठ गए. ससुरा छह लोग बैठा था सीट में. ऊपर सब पैर फैलाये छत बनाये हैं. बारह लोग तो ऊपर टंगे रहे. नीचेयों एक लड़का सो रहा हैं, पैर कहा फैलाये? इ जनरल डब्बा हैं.  रात में दोनों कम्बल ओढ़ के एक दूसरे के ऊपर टिकके सो गए. बंटू का मुँह खुला था और टां...

Loudspeaker is the demon

While India is vibrating with the resignation of RBI Governor, I along with my single room and windowpanes are vibrating with the gigantic sound of the demon loudspeaker since 3 days day and night, what a tragedy! This is such a cool example of the non-regulation at the local level. See, I couldn’t type as well, it is annoying, anti-peaceful. The loudspeaker can be understood as a new kind of malware that operates in human and hang the system, i.e. our mind. Our beloved supreme court has already passed a law regarding the regulation of it, saying that not more than a sound level of 75DB it should play with and that 10PM to 5AM is a no play time. 75DB because continuous engagements above this sound level could seriously harm the living being staying nearby. Besides with India’s diversity, we do not really share our celebration day. By the way, marriage is an individual thing distributing its poison equally to all the neighbors! But India is India, and it comes with no administratio...

कुआँ.. अब नहीं

एक कुआँ था कॉलोनी में जिसके अंदर अक्सर क्रिकेट खेलते वक़्त गेंद चली जाती थी और फिर कुछ ना कुछ जुगाड़ करना पड़ता था उसे निकालने के लिए, जो पूरा होता था एक रस्सी और एक टोकनी से. जितनी पानी की गहराई उतनी बड़ी रस्सी और उतनी समस्या जुगाड़ने की. फिर इधर-उधर से छोटी-छोटी रस्सिया जुगाड़ों और बाँध के बडी करलो. उसके बाद टोकनी को रस्सी से बाँध दो और शुरू करो मुहीम गेंद निकालने की. ये काफी दिलचस्प होता क्युकी सभी को पहले से ही कुए से डर लगता. गेंद निकलने की अपनी खुशी होती और बल्लेबाज से अनुरोध किया जाता की कृपया बल्ले की दिशा पे नियंत्रण दिया जाए, 'नहीं तो जो मारेगा, वही निकालेगा'. अंत में जिसकी गेंद उसका जिम्मा! फिर भी एक दिन में दो बार गेंद तो जाती ही थी. वैसे तो कुए में गेंद जाना मतलब आउट होना था. कई बार घरवाले लतियाते थे की कुए के पास मत जाओ. गिर विर गया तो क्या होगा, कौन निकालेगा, और निपट गए तो? कभी अंधेरा हो जाने से गेंद नहीं निकाल पाते थे तो रात भर बेचैनी होती थी की कही गेंद खो ना जाए.  कई बार ऐसे ही खेलते-खेलते आस-पास बैठ जाते थे और पानी को निहारते थे. साफ पानी होता और कुए के भीतर ...

India is Secular or not

This is quite a high time for the Indians and especially the one belonging to the religion Hinduism regarding the communalism that is being propagated across India by none other than our own politicians. Today Mr. Subodh Kumar, Inspector from Bulandseher was killed when a mob erupted over the news of some cow lynching. This is saddening. Soon thereafter CM of UP Mr. Yogi sanctioned 50 lakh rupees to his family. Yesterday Mr. Amit Shah was heard firing during a campaign something about Masjid and Mandir which is communal in nature. While it is not the first time he has done this. Time and again it has been reported from a vivid section of media how they provoke religious sentiments in the campaign. This is dirty politics. There are some basic questions in front of all of us. What are Fundamental Rights? How much are our administrators, our political leaders sensitized with respect to maintaining the sanctity of it? Is our society a class-based one? Why is that Indian Police force act...

गांव और गाडी

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एक पतली सडक इस प्लेटफार्म से होते हुई जाती है जो पास के गांव में मिल जाती है. वहा कुछ अनपढ़ और अधपढ़े किसान रहते है. यहाँ से उतरने वाले यात्री ज्यादातर जनरल डब्बे के होते है. यहाँ सारी ट्रेने नहीं रूकती है. जो रूकती बस कुछ मिंटो में अकबका के दहाड़ने लगती है, बौरा जाती है और चल पडती है. छोटा सा गांव है. अब लोग शहर में रहते है. शहर का खाते है. शहर की पीते है. चूल्हे की रोटी बड़े होटलों में मिलती है जिसके साथ वे सैकड़ो सेल्फी खिंचा लेते है, फिर चाओ के साथ खाते है और जेब खाली करके अपने-अपने घोसलों में चले आते है. ट्रेन जब यहाँ भूल से रुकी तो सोचा क्यों ना बाहर निकल कर एक सेल्फी यहाँ की हवा में भी खीच लू. कम से कम हवा तो ताज़ी ही है और थोड़ी शान्ति है. जितनी देर गाडी खड़ी रही, मै बाहर निहारता रहा. प्लेटफार्म की शांति पता नहीं क्यों खाये जाती है. लोगों की आँखों के नीचे काला गड्ढा है और चेहरे पे जबरदस्ती वाली हसीं. अपने ही गांव में भागे-भागे फिरते है. ऐसा लगता है की लोग खुश है और गांव नाराज़ है या तो लोग नाराज़ हैं और गांव खुश है. ठीक से समझ नहीं आता. शान्ति तो है पर बेचैनी है, धुकधुकी है. इस ट...