राम मंदिर - अयोध्या वाला

क्या है राम मंदिर? आखिर सब अयोध्या में राम मंदिर बनाने को इतना व्याकुल क्यों है? ये अचानक से समाचार में क्यू आ जाता है और अचानक ये मुद्दा कुछ दिनों के लिए किधर गायब हो जाता है? यह किसकी देन है और किसके द्वारा उल्लेख करवाया जा रहा है? आम आदमी इससे कितना प्रभावित है और वे किस हद तक इसपे सोच विचार रहा है? क्या वे सोच भी रहा है की बस सुन रहा है या दूसरों के निर्णयों को सुनकर बिना सोचे अपनी राय बना रहा है? कई दिन गुज़र गए है इस खबर को न्यूज़ मीडिया में पढ़ते देखते. मैंने स्कूल पढ़ लिया, कॉलेज में एडमिशन करा लिया, नौकरी भी करने लगा पर ये तमाशा अभी भी चालू है और निरंतर कुछ लोगो के मन को ठेस पहुंचाता रहा है, विभाजित करते रहा है. न्यूज़ में आम तौर से अपने आपको "हिन्दू" संगठन का हिस्सा कहने वाले लोग इसपे टिप्पड़ी करते नज़र आते है, तर्क विहीन बातें करते है और एक दुसरे की निंदा करते रहते है. ये हमेशा कोलाहल मचाते रहते है, जैसे की ये राम जी का दूसरा अवतार हो और उनके बताये धर्म को पुनः स्थापित करने की जिम्मेदारी बस इन्हे ही दे दी गयी हो. कभी ये व्याकुल से सरकारी नेता भी होते है जो उलटी-सीधी लुहावनि और डरावनी बातें करते है. इनकी टिप्पणी न्यूज़ मीडिया में काफी आनन् फानन और साउंड इफ़ेक्ट से दरसाई जाती है. ये सारे न्यूज़ चैनल्स इनका ऐसे प्रचार करते है जैसे की भारत में अब और कोई न्यूज़ बची ही ना हो, जैसे की हम सारे विश्व की नयी उचाईयो को छू रहे हो, जैसे की हमारी सड़को से गंध आना बंद हो गयी हो, जैसे की पचास प्रतिसत भूखे लोग अब रात में भूखे नहीं सोयेंगे, जैसे की अब उंच नीच की कुरीति ख़त्म हो गयी हो, जैसे की...

ये मीडिया अकसर हिन्दू कहने वाले लोगो को अथवा हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व संभाले हुए लोगो के प्रति ज्यादा झुकाओदार है, यह बात काफी आराम से समझ में आ जाती है. ये भी लगता है की ये न्यूज़ चैनल वाले राम मंदिर बनाने में तुले हुए है. इनके लिए ये काफी मसालेदार है, इनकी रोज़ी रोटी इन्ही से चलती है, क्या बताएं. जितनी अराजकता होगी, उतना माल इनकी जेबों में होगा और उससे कही ज्यादा खून गलीयो में, सड़को में, लोगो के मनों में होगा. आप भले ही अपने साथी को जो दुसरे धर्म का पालन करता है, उससे अपनी निंदा सुने न हो, आप ऐसा लाखों बार सोचने लगेंगे की ये आपका प्रत्योगी है और आपको बस मारने ही वाला है. बस मान लीजिये की ये आधुनिक दुनिया का नया प्रदूषण है और इसको फैलाने वाले राजनेता और उनके चेले है.

मेरे कुछ मित्र हुए जो अब जोर शोर से एक तरफ़ा राम मंदिर बनवाने की तवज्जो अपने दिल में रखते है. ये अकसर तर्क विहीन होते है और इनका पारा बढ़ा ही रहता है. क्या इनकी आँखों में जाला लगा है? राम एक मर्यादा पुरुषोत्तम थे. ये बहुत ही गुनी थे. इनका चरित्र पढ़के प्रेम की गंगा का प्रवाह जो ही होता है. ये वादे के पक्के थे. इनके लिए धर्म का पालन करना सर्वश्रेष्ठ है. ये जनहित और मानव कल्याण में कुछ भी करने को तैयार थे. इन्होने अपने जीवन को यु जीकर बताया जिससे की आगे आने वाली पीढ़ी इनकी कहानिया पढ़कर इनके बताये हुए धर्म के मार्ग पर चले और लोक कल्याण हो. ये हिन्दू धर्म के मुख्य भगवानो में से एक है. कई भक्तों के दिल पे ये बसते है और कई भक्त अकसर इनका ध्यान करके और जाप करके अश्रु भी बहाते है, अर्थात ये निकटतम से भी निकटतम है. बहुत प्रिय है. विष्णु के अवतार है और इन्होने अपनी इन्द्रियों को अपने बस में किया हुआ है. रामायण के अनुसार यही श्रीराम का जन्म भारत की अयोध्या की भूमि में हुआ था कई सदियों पहले, ठीक इसी जगह. और ये कहा जाता है की बाबर ने १४वी सताव्दी में यहाँ पहले से बने राम मंदिर को गिरवा कर, एक मस्जीद बनवा दी थी. कुछ भी हो, इसपर अब मसाला, चाय पत्ती, नमक मिर्च नमकीन डालके आम आदमी को पेश की जा रही है और आम आदमी इसे खाकर उल्टियां करता और गंदगी मचाता नज़र आता है. इसकी जो दवा है "प्रेम" उसे अनारकली की तरह कही तो चुनवा देनेकी साजिश खूब रची गयी है.

बात ये है की अगर चार दिन न्यूज़ मीडिया में अयोध्या के राम मंदिर का व्याख्यान न किया जाए, तो मेरा पूरा यकीन है की, सदियों से स्थापित इस धरती में बसे हिन्दू धर्म के अनुयायी ये सब अयोध्या की दुनियादारी भूल जायेंगे और अपने काम में लीन हो जायेंगे. ये बकैत भले ही हो लेकिन स्वभाव से गाय है. भारत के सन्दर्भ में ये कहा जाता है की हमने कभी भी किसी देश पर आक्रमण करके वह की सत्ता हड़पने की कोशिश नहीं की है. और तो और भारत की धरती में जो कोई भी, जहा कही से जितना भी द्वेष लेकर आया है, वो यहाँ ही बस गया और इस धरती का ही हो गया. "अतिथि देवो भवः" भारत की संस्कृति का एक अमूल्य हिस्सा है जो कभी विदेशी समझ नहीं पाएंगे. हमारी धार्मिक किताबें हमे तपस्या भावना की, त्याग करने की, दान करने की प्रेरणा निरंतर देती रहती है और अब ये हमारे खून में है. इससे विपरीत अपने आप को हिन्दू धर्म का अध्यक्ष बताते हुए, कुछ लोग अपना ही राज अभिषेक करके यु बकैत मचा मचा के प्रचार कर रहे है जिससे बहुत असंतुलन और आपसी द्वेष की भावना पैदा हो गयी है. ये इतने जेहरीले है की इनकी संगती में आकर एक आम आदमी भी विचलित होकर हिंसक प्रवत्ति का हो जायेगा. वे भूल जाता है की हर धर्म प्रेम को स्थापित करने की ही बात करता है. इनकी व्याकुलता का राज़ देश की जनता को बेवक़ूफ़ बनाकर सत्ता हासिल करना तो नहीं है? भारत १४दी सदी में जो भी रहा हो, आज हम एक है, आज हम सेक्युलर है, आज हम सभी धर्मो को बराबर का दर्जा देने की बात करते है. सभी को सामान अधिकार है.

राम लोगो के दिल में बसते है और राम ने प्रेम की शिक्षा दी है. इसके अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति राम नाम का दुरूपयोग करके, दांत निपोरके, दुनिया में खुले आम हिन्दू धर्म की सादगी पे कीचड उछालने की जरूरत करता है तो मेरा लोगो से अनुरोध है की सोचे. सोचे की क्या ये पाप की श्रेणी में नहीं आएगा की हम एक धर्म की जगह को तुड़वा कर अपने धर्म के ईस्ट की स्थापना करेंगे? ये तो राम धर्म है ही नहीं. फिर आप क्या साबित करने पे तुले है? क्या ऐसी जगह पर आपके श्री राम बैठना भी चाहेंगे? जरा गौर फरमाईये. क्या इससे आपसी भाईचारा नहीं बर्बाद हो जायेगा? क्या इससे हिन्दू धर्म की जग हसाई नहीं होगी? क्या इससे हिन्दू धर्म छोटा नहीं हो जायेगा? ये बनाया जाने वाला मंदिर, राम की जन्म भूमि को बर्बरता का प्रतीक नहीं बना देगा? अपनी बुद्धि का प्रयोग कीजिये और आँखें कान खोलकर सुनिए, की ये समाचारी बकैत क्या बोल रहे है, क्या कर रहे है. होश में आ जाईये और अहिंसा को अपनाईये.

माना की राम जी ने यहाँ पर जन्म लिया होगा, लेकिन अगर हिन्दू ये समझ ले की बलिदान ही परम पूँजी है, और इसे पुनः स्थापित अगर किया जाए, तो इससे हिन्दुओ की जीत नहीं होगी? अकसर देने वाला मांगने वाले से बड़ा होता है. कृपया हिन्दू धर्म को छोटा न होने दे, कृपया इस विष को फैलने से रोक ले.

मेरा आखरी सवाल हिन्दुओ से है, की किसने इन छोटे छोटे समूहों को ये जिम्मेदारी दे दी जो ये पूरे समाज का ठेका उठाये फिरते है और इनका मत सारे समाज का मत बन जाता है. ये तो न्यूज़ मीडिया की बत्तमीज़ी है की ये इनका बढ़ावा दे रहे है. क्या कोई हिन्दुओ का जनमत-संग्रह हुआ है? मै इन हिन्दू संस्थाओ को न मानता हूँ और न ही इनके विचारो से कोई अपेक्षा करता हूँ. इसके ऊपर मै ये चाहता हूँ की मेरे हिन्दू भाइयो और बहनो को अकेला छोड़ दिया जाए और उन्हें ये स्वयं सोचने का मौका दिया जाए की वे अपने अंतर्मन में छुपे राम भक्त को बाहर निकाले और बताये की वे क्या चाहते है? क्या आप आने वाली युग के युवाओ को ये बतलाना चाहेंगे की हम इतने नीचे गिर गए और इतने स्वार्थी हो गए जिससे की सारे भारत में अशांति फ़ैल गयी और हमने पाखंड का एक नया खेल रचा?

Comments

Popular posts from this blog

Our visit to Shanti Bhavan - Nagpur

Bring the kid or not

Ride and the Kalsubai Trek