फूलवती-रामविहार


फूलवती अब चालीस पार कर गयी है. वो अपने पति रामविहार जो की उससे सात साल बड़ा है और बच्ची पारवती के साथ दिल्ली की एक ईमारत में रहते है. ईमारत को बने हुए चार साल हो गए है. वे लोग यहाँ तब से है जब से इस ईमारत का बनना चालू हुआ था सन 2012, आठ साल पहले. तब रामविहार, मध्यप्रदेश में स्थित अपने घर से काम की तलाश में यहाँ चला आया था. वो पहले कुछ दिनों तक भटका और कही होटलों में बर्तन मांजे, कही पर रोटी बेली, कही सब्जी बेचीं, कही पर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिल गयी और फिर कही जाकर के एक नयी बनती ईमारत में चौकीदारी का काम मिल गया. 

पहले रामविहार अपने गांव के मित्रों के साथ रहता खाता था. एक कमरे में दस लोग रहते थे. बाद में जब उसे सिक्योरिटी की नौकरी लग गयी तो यहाँ अँधेरे कोनो में उसे अकेला महसूस होने लगा. बिल्डिंग में दिन में काम लगता था तो लेबर रहती थी. रात काटनी मुश्किल हो जाती थी. उसके बाद उसने फूलवती, पारवती और अक्षयप्रसाद को अपने पास बुला लिया. अक्षयप्रसाद इनका लड़का है जो की अपनी बी.ऐ. की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद गुडगाँव के एक ऑफिस में दस हजार की नौकरी करता है. वो वहा अपने दोस्त के साथ रहता है क्युकी उसे ऑफिस जल्दी जाना होता है और वो वहा से देर से रिहा होता है. नौकरी अभी कॉन्ट्रैक्ट में है, परमानेंट नही है. पारवती का अभी बी.ऐ. चल ही रहा है. ये तीनो अब बन-चुकी चार मंजिला ईमारत के पार्किंग में एक टीन शेड में रहते है. नीचे ही एक बाथरूम जुडा हुआ है. कमरे में टी वी है, फ्रिज है, कूलर है, रौशनी के लिए एक तीस वाट का बल्ब लगा है और एक लकड़ी का पलंग दबा कर लगा हुआ है. रामविहार बाहर लगी कार के बगल में ज़मीन में बिस्तर बिछा के सोता है, मा-बेटी अंदर सोते है. 

बिल्डिंग में पढ़ने वाले बच्चे रहते है. कुल पंद्रह अलग अलग कमरे है. हर फ्लोर में किचेन है, बाथरूम है, ऐ सी फिट है, फ्रिज है, गीज़र है. माने अप टू डेट कमरे है. रामविहार का काम है की बिल्डिंग की चौकसी करना, सुबह उठकर मोटर चला देना और फिर समय से टंकी भरने के पहले बंद कर देना. वो ऊपर हर फ्लोर से कचरा उठाता है, हर दूसरे दिन झाड़ू पोछा मारता है, कही कुछ परेशानी आने पर उसे बोला जाता है तो फिर वो मैकेनिक इत्यादि की व्यवस्था करा देता है. ये सब हो जाने पर वो बाहर कुर्सी लगाकर समय को अपनी गति से जाने देता है. जो आदमी बच्चे गुज़रते है उनको देखता सुनता है, ज्यादा बात नहीं करता. उसका एक अभिन्न मित्र है एक भूरे रंग का कुत्ता जो की आस पास ही रहे आता है. रामविहार उसे बराबर रोटी खिलाता है, फुसलाता है और बातें करता है. 

फूलवती सभी जगह चारों मालो में दोनों समय खाना बनाती है. वो अपने पति से अधिक कमा रही है इन दिनों जिससे उसके चेहरे में अलग ही आत्मविश्वास झलकता रहता है. वो पूरे बिल्डिंग में हड़कंप मचाये फिरती है. उसके खाने में स्वाद है. फूलवती अपने सगे सम्बन्धी लोगों से बराबर फ़ोन में बताते रहती है. क्यूकी वो गाँव छोड़कर शहर काम करने आयी है और अब खुद कमाती भी है तो उसकी गाँव में खूब बनती है. वहा की औरतें उससे सलाह भी लेती है. उसके यहाँ भी कई सारे मित्र बने है जो की अन्य जगह दूसरी इमारतों में कुछ कुछ काम करते रहते है. वे लोग आपस में एक दूसरे से अपनी बातें साझा करते है. फूलवती सभी जगह खाना बनाकर अपने परिवार को भी खाना बनाकर खिलाती है, उनके कपडे साफ करती है, बर्तन मांजती है. रामविहार को अब उसकी मदद करनी पडती है.

गांव की ज़िन्दगी से यहाँ शहर की ज़िन्दगी एक दम भिन्न है. गाँव में अभी भी ऊंची जात और नीची जात का ताता चलता है. शहर की अपेक्षा आप अपने काम से नहीं बल्कि अपनी जात से ज्यादा माईने रखे जाते है. वही गांव में हवा शुद्ध है लेकिन पानी कुइया और तालाब से ढ़ो कर लाना पड़ता है. मोटर कही ही लगी होंगी, जैसे की खेतो में. शहर में यहाँ उनके शौच की व्यवस्था है जहा पर दिनभर पानी आता है. फूलवती को गांव में सुबह सुबह दूसरी औरतों के साथ बाहर जाना पड़ता था. इससे उसे और अन्य औरतों को शर्म भी आती है. बात कुछ भी हो इन्हे रह रहकर अपने गाँव की याद आते रहती है. वहा का खुलापन, गांव में सबसे आपसी मित्रता, सीधी सादी जिंदगी अभी भी इन्हे वहा खींचते रहती है. शहर में लोग पैसा जानते है, उसी को पूजते है, उसी से अपनी ख़ुशी जाहिर करते है. गांव में हर साल बाढ़ आती है, सूखा पड़ता है, बारिश में मलेरिया फ़ैल जाता है और काम भी जोताई बोआई के समय मिलता है. बिजली का कुछ ठिकाना नहीं है. कभी आती है और कभी चली जाती है. 

यहाँ शहर में आ जाने से फूलवती-रामविहार के दोनों बच्चे अपने घर के पहले ग्रेजुएट है जिसका ये खूब शान करते है. वो नहीं चाहते की गांव वापस जाए. उन दोनों को शहर की आबोहवा पसंद है. पारवती अब अंग्रेजी बोलना सीख रही है. वो इंटरनेट में कुछ नयी चीज़े सीखती रहती है. वो ईमारत में पढ़ने वाले बच्चों से भी सलाह लेती है. वो जानती है की पढ़ाई होते ही उसे नौकरी की तलाश करनी होंगी नहीं तो घर वाले उसकी शादी जल्द करवा देंगे. 

वे जानते है की दूसरों की अपेक्षा उन्हें यहाँ ज्यादा लाभ है रहने को. यहाँ मकान मालिक नहीं रहता. फूलवती और रामविहार कभी साथ में घर नहीं जा पाते क्युकी किसी एक को यहाँ रुक कर पहरा देना पड़ता है और काम से कुछ दिनों की ही छुट्टि मिलती है. ज्यादा छुट्टिया मांग ली तो बच्चे कही दूसरी खाना बनाने वाली ले आ सकते है और रामविहार को अपनी नौकरी गवानी पड़ सकती है. इसलिए वे साल भर में तीन सौ दिन से भी ज्यादा इस चार मंज़िला ईमारत के कैदी बनकर रहते है. वे ना तो कही साथ में घूमने जाते है और ना ही यहाँ वे किसी सामाजिक कार्यों जैसे भजन कीर्तन, शादी इत्यादि में शामिल होते है. वे इस ईमारत से बंधे हुए है. महीने में धोखे से किसी एक गलती की वजह से भी इन्हे भारी डाटे फटकार सुन्नी पडती है. जहा पैसा चलता है वहा औकात पूछी जाती है और औकात सभी की बराबर नहीं होती. 



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