दीपावली घर पे

 सुनो, तुम ये दीपावली में घर ना आना 


क्यूँ? 


पर साल आये थे तो सारे बम अकेले ही फोड़ डाले थे 

फिर तुम घर में भी कहा रहते हो 

अपने दोस्तों के साथ इधर उधर फिरते रहते हो

घर वालों के लिए समय कहा है तुमको? 

और फिर तुम पूजा में भी नहीं बैठते

इतनी क्या जल्दी रहती है तुम्हे?

मिठाइयो का भोग भी नहीं लग पाता और तुम..

पहले से ही मिठाईया चट करने लगते हो

तुमने मेरी पसंद का कुरता भी नहीं पहना था

और दूसरे ही दिन रवाना हो लिए.. बड़े आये 

तुम मत आना.. 


पक्का?


हां, मत आना 

नहीं आओगे तो कोई पहाड़ नहीं टूटेगा

बाकी सब लोग तो है ही इधर

और तुम्हारे तो इतने दोस्त है उधर 

वही उनके साथ मना लेना अपनी दीपावली 

हम लोगों का क्या है? 

तुम आओगे तो हमारे साथ तो बैठोगे नहीं 

हमारे साथ बात करने की फुर्सत कहा है तुम्हें? 

तुम वीडियो कॉल कर लेना, आके क्या करोगे?


ठीक है...


ठीक है? मतलब ठीक है ये?

नहीं आओगे? हां, तुम क्यूँ आओगे.. 

अब बड़े हो गए हो... नये दोस्त बना लिये है 

अपने नये घर में रहते हो, नया शहर है तुम्हारा 

तुम यहाँ हमारे पास क्यूँ आओगे?

तुम्हें हमारी याद ही कहा आती है? 

हम सब तो बाद के लोग है ना.. 

और बड़े आज्ञाकारी बनते हो, 

काहे नहीं आओगे? 


तुम ही तो कह रही थी..


ज्यादा बनो मत. मैंने कब कहा?

"कह रहा है की नहीं आएगा"

कब आओगे? टिकट करा लिए हो?

जनरल में बैठ के आओगे क्या?


हाहा 


हस रहा है.. ये लड़का कुछ नहीं जानता 

अपने साथ एक खाली बैग लिए आना 

नास्ता बनाया है तुम्हारे लिए...

गुड़ के लड्डू है, बर्फी है, बेसन की नमकीन है 

घर का घी भर दिया है डब्बे मे, आम का आचार है

समझें?

और अपनी वो पीले रंग की शेरवानी लिए आना 

अभी तक पहनी कहा है तुमने 

बनवा के रखवा ली बस.. 

तुमपे अच्छी लगेगी


ठीक है मम्मी 

सुनो, अभी ट्रेन मे हूँ 

आज शाम को आ रहा हूँ!

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