नेता हमारे बल्लेबाज
पिछले सप्ताह इंदौर से खबर आयी की स्थानीय नेता एक कारपोरेशन के व्यक्ति को क्रिकेट बल्ले से सरेआम पीटने की कोशिश करते है. वहा पे पुलिस की मौजूदगी थी. साथ ही साथ खचाखच भीड़. कई वीडियो निकल के आते है. उसके बाद कई बुद्धिजीवी इस घटना की सोशल मीडिया पे निंदा करते है. हालांकि दूसरे दिन इन्हे बेल मिल गई और ये रिहा हो गए. चौका देने वाली बात ये थी की उनका स्वागत सम्पूर्ण हर्ष-उल्लास से किया गया, ओपन फायरिंग की गयी, ढ़ोल बजे, ठुमके लगे, तिलकोत्सब हुआ, नारियल फोड़ा... नेता जी का कहना है की उन्हें अपने इस बर्ताव का कोई खेद नही है. उन्होंने जनता की भलाई के लिए ही महेंद्र सिंह धोनी का रूप धारण किया. राज्य की पार्टी ने उन्हें इस बात पर पूरा समर्थन भी किया.
अब सवाल ये है की क्या नेताओ के अलावा आम आदमी अगर ऐसा व्यवहार करता है, तो उसे भी ऐसे ही परोसा जायेगा? क्या इसका ये मतलब है की चाहे पुलिस मौजूद हो या नही, कोई भी व्यक्ति, कही भी अपनी मर्जी से, अपनी सोच शक्ति से किसी की धुनाई कर सकता है और वो जनता का आदर पाने योग्य रहेगा? अगर हां, तो हम सब को जंगल राज मुबारक हो और साथ ही साथ 'हर दिन के लिए दीपावली की शुभकामनायें'. जनता के समक्ष एक महान उदाहरण रखने के लिए भी धन्यवाद.
अगले दिन सतना जिले से खबर आयी की मेडिकल अफसर की वहा लोकल नेता ने धुनाई की.. दो दिन बाद तेलंगाना से खबर आयी की महिला फारेस्ट गार्ड को अपनी नौकरी करते वक़्त एक भीड़ द्वारा लाठीयों से पीटा गया. इस भीड़ की अध्यक्षता स्थानीय नेता जी कर रहे थे. अब इसका इंदौर वाली घटना से कितना मेल है, ये भगवान जाने. लेकिन ये घटनाये कानून व्यवस्था पे ऊँगली उठाती है. क्या नेताओं की ये दबंगई जायज है? अगर इस बात की आलोचना की जानी थी, तो तमंचा चलाके स्वागत क्यू किया गया? यदि यह किसी आम व्यक्ति के द्वारा किया गया होता, तो क्या उसको भी इतनी जल्दी बेल मिल गयी होती और राज्य पार्टी ऐसे ही मूफट सहयोग करती? और यदि नेता जी को मार धाड़ का शौक है तो नेता गिरी छोड़ के कुश्ती क्यू नही करते?
चूँकि राज्य सभा व संसद में जुल्म किये हुए नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है, इनके लिए भी कुछ आरक्षण की सुविधाएं होनी चाहिए, ताकि छोटे से बड़े सभी माननीय कबड्डी बाजों को जनता के लिए कानून बनाने का मौका मिले. उनके इस अनुभव का सही उपयोग भला और कहा किया जा सकेगा? जय श्री राम? अरे नही, यहाँ पीटने पिटाने वाले दोनों हिन्दू थे..
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