गुम कही विकास की राह - मैहर
मैहर शहर इतना छोटा है की बीस मिनट होते होते एक चक्कर मारा जा सकता है. गिनती के गिने चुने मोहल्ले है, कुछ बाजार है. मेरा मानना है की मैहर में भारत की छवि देखी जा सकती है. आज भी देश की सत्तर प्रतिशत जनता गाओ में ही रहती है. ढांचा एक समान ही है. गाओ के बगल में एक छोटा क़स्बा है. गाओं से लोग कस्बों में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आते है. इसी से कस्बो का विकास भी होता है. कस्बों के लोग बड़े शहर से प्रेरणा लेते है और अपनी जरूरत पूरी करते है. कस्बे एक महत्वपूर्ण कड़ी है शहर और गाओं के बीच में. अगर कस्बे विकसित है तो ग्रामीण वासियों का शहर पलायन कम से कम होगा. इससे लोग अपनी ज़मीन और समाज से जुड़े रहेंगे. अब अगर मैहर की बात की जाए तो माँ शारदा का प्रशिद्ध मंदिर सबसे आगे होगा लोगों को ना केवल आध्यात्मिक शक्ति देने के लिए, बल्कि निरंतर रोज़गार बनाये रखने के लिए. यहाँ दूसरे शहरो से, अन्य कस्बो और गाओं से लोग दर्शन के लिए आते है तो वे खाने, रहने अन्य चीज़ों के लिए खर्चा करते है. इससे यहाँ के लोग कमा लेते है. जितनी ज्यादा सुविधा इन बाज़ारों को दी जाए, जितना ज्यादा साफ सुथरा मैहर हो, जि...