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Showing posts from January, 2020

आम आदमी

शहर अब कई हिस्सों में बट गया था. जगह जगह से विभिन्न तीख़े नारों और श्लोकों की गूंज आ जा रही थी. सभी लोगों और गुटों का यही मानना था की वो सही हैं और उनका सत्य ही सच्चा सत्य हैं. उन्हें दूसरों के सत्यों से घिन होती थी और वे रह रह के एक दूसरे को विचरित वाक्यों और उपनामों से सम्बोधित कर रहे थे. दोनों ही एक दूसरे के लिए प्रदूषण थे, आँखों का काटा थे. शहर उबल रहा था और उबाल खाते इस शहर से कइयों को बेमतलब हानि पहुंच रही थी. वे व्यक्ति जो किसी भी रूप से किसी भी गुट से नहीं मिलना चाहते थे और शांति प्रिय थे, वो सबसे अधिक छतीग्रस्त थे. उनकी आम जिंदगी और सुगंधपूर्ण दिनचर्या में परिवर्तन हुआ था. अक्सर ही मुठभेड़ में वे दबाये कुचले जाते थे, खदेड़े जाते थे. उन्हें बाकियों की आम खायी गुटली के सिवा कुछ नसीब नहीं था. वो शांति से तड़पते रहे आये. रात्रि में जब आसमान की काली चादर, लाल पीले रंगों की मसाल से लौ बुद्ध हो उठती थी और कान फाड़ देने वाली चीखे शहर के कोने कोने में फस कर रह जाती थी तो इन प्राणीयों की नींद भी हराम हो गयी थी. बात अब ये हो रही थी की इस जलन, मतभेद, ईर्ष्या और घृणा का क्या उपाय हैं? जिन...

बारिश

'बच्चा लोग जल्दी करो, आज बरसेंगे... मौसम बनाये हुए हैं...' - ये अनजानी आवाज़ सुनते ही सडक में थोड़ा खलबली मच चुकी थी. सुबह से ही आज अँधियारी हैं. हलकी हलकी ठण्ड और गलन रही आयी. आसमान में घने बादल आ जा रहे थे. देखते ही देखते बूँदे छप छप करती हुई ज़मीन में गिरने लगी. लोगों के पैर भी गतिशील होने लगे. कोई मदमस्ती में अपनी गति नहीं बदला और कोई भागने की कगार पे आया. सोये हुए दुकानों में से आदमी लोग अजीब से रंगोंभेष में आये. कोई अपने आप खिलखिला उठा, कोई जबरन ही चिल्ला पड़ा और कोई बस गिरती बूंदो को निहारते रहा. बारिश के तेज़ होते ही सड़क को गीली चादर ने ओढ़ लिया. पैदल चलने वालों ने और दो पहिये वालों ने अपनी जात और धर्म का ज़िक्र किये बिना, ऊंच नींच की खाइयो से परे, धम से जल्दी से रूक गए और अपने अपने करीब के कोने पकड़े. वे वहाँ साथ खड़े होकर अनजाने व्यक्तियों के साथ उसी एहसास में डूबे रहे आये, बारिश को देखा, सुना, महसूस किया. बारिश कुछ ही समय के लिए आयी थी. शहर में महसूस किये जाने वाले अनबन और तनाव से सबको मुक्त कराना चाहती थी. जिनके विचार मेल नहीं हो रहे वो भी तो बारिश से एक तरह जूझेंगे? पर...